मैं ब्राह्मण हूँ,धर्म युद्ध को सदैव तत्पर,कर्तव्य हेतु सदैव अग्रसर;परशुराम का हूँ मैं वंशज और उच्च कुल मैं रावण हूँमैं ब्राह्मण हूँ,सनातनो का मैं हूँ वाहक ,वेद-पुरानो का मैं पालक ;दत्तात्रेय सा मैं हूँ श्रेष्ठ ,दुस्तो का हूँ मैं संहारकनहीं प्रशंसा का मैं चाहक,द्रव्यों का ना मैं ग्राहकसमस्त जीवो में प्रभु राम का अति-प्रिय हूँ ;मैं ब्राह्मण हूँ,अविरल है अपनी ज्ञान की गंग,ब्रह्मा का मैं विशेष अंग;सतयुग से अब तक अभंग,कपट से अपने कर हैं तंग;जीवो के हम है आद ,शाश्त्रो के हम शंखनादगुण में श्रेष्ठ निर्विवाद ,औ जन हित का मैं तोरण हूँमैं ब्राह्मण हूँ,कर्मकांड का मैं परिचायक,मुक्तिमार्ग का मैं हू नायक;दिव्य भूमि का मैं अधिनायक,भक्ति भाव का मैं गायक;काँधे पर उपवीत रखे हूँ ,चोटी को निज शीश धरे हूँ ;सद्मार्ग पर ले जाने वाला जीवन का मैं आचरण हूँ!!मैं ब्राह्मण हूँ,..........................

 

जय श्री परशुराम
हे विप्र ! ब्रह्मवर्चस जगाओ भूमण्डल में प्रत्यर्वत्तन गान गाओ ।
हे विप्र ! ब्रह्मवर्चस जगाओ ॥
हुए विस्मृत अतीत के स्वर्णिम पृष्ठ ।
कर्म, धर्म से बन गए धृष्ट ॥
...तुम ये दधीचि औश्र रामकृष्ण परमहंस ।
गुरु द्रोण, अष्टावक्र, वशिष्ठ के वंश ॥
भू्रभंगिमा से पुन: भूचाल लाओ ।
हे विप्र ! ब्रह्मवर्चस जगाओ ॥
विश्वगुरु तुम, पथ प्रदर्शक, ज्ञान के भण्डार ।
उपकार, सेवा, तप, क्षमा के आगार ॥
श्रुति, निगम, आगम, रामायण के गायक ।
धर्म, कर्म, मानवता के तुम प्रचारक ॥
संकल्प, स्वस्ति गान फिर गाओ ।
हे विप्र ! ब्रह्मवर्चस जगाओ ॥
गो, द्विज, धर्म, उपेक्षित आज ।
व्रत, तप, सत्कर्म, तिरोहित आज ॥
शक्ति दानवी हुई बड़ी प्रबल ।
कलिकाल, कपट, असत्य, छल ॥
भारत को जगतगुरु फिर बनाओ ।
हे विप्र ! ब्रह्मवर्चस जगाओ ॥

 

ब्राह्मणों ने भूखंडो को भारत बनाया हैं .
ज्ञान और दंड से बर्तन बनाया हैं ,
धर्म और शास्त्र से बस्ती बसाया हैं ,
नदी और गुलाब में सौंदर्य दिखाया हैं,
ब्राह्मणों ने भूखंडो को भारत बनाया हैं .
कही चाणक्य तो कही परशुराम हैं ,
कही आज़ाद तो कही सुभाष हैं ,
कही दधिची का बलिदान हैं ,
ब्राह्मणों ने एक -एक कण को सजाया हैं .
https://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=D31LMBpG1Tc
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